सीआईपी, रांची
केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान(सीआईपी), रांची
केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान(सीआईपी), रांची भारत में मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक प्रमुख संस्थान है। इसका प्रारंभ वर्ष 1918 में हुआ था और तब से ही यह मनोरोग के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। स्वतंत्रता प्राप्ति तक यह अस्पताल केवल यूरोपीय रोगियों के इलाज के लिए था। इसकी कुल बिस्तर क्षमता 643 है और यह संस्थान 210 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है । केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान कभी भी एक अभिरक्षणात्मक देखभाल सुविधा नहीं रहा है। यह हमेशा से ही मानसिक रोगियों के प्रबंधन के लिए एक व्यापक जैव-मनोवैज्ञानिक-सामाजिक दृष्टिकोण के साथ एक खुला अस्पताल रहा है। वर्तमान में यह संस्थान स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य कर रहा है जिसका उद्देश्य रोगियों की देखभाल, श्रमबल का विकास और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनुसंधान करना है। वर्तमान में, डॉ. दया राम संस्थान के निदेशक हैं।
वर्ष 1922 तक यह यूरोपियन ल्यूनेटिक असाइलम के नाम से जाना जाता था। वर्ष 1922 में इसका नाम यूरोपियन मेंटल हॉस्पिटल रख दिया गया और इसका नियंत्रण एक बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज़ को सौंप दिया गया, जिसमें विभिन्न प्रतिभागी राज्य सरकारों के प्रतिनिधि शामिल थे। यह वर्ष इसलिए भी उल्लेखनीय था क्योंकि इसी वर्ष अस्पताल को मनोवैज्ञानिक चिकित्सा डिप्लोमा परीक्षा के लिए लंदन विश्वविद्यालय के साथ सम्बद्ध हुआ । स्वतंत्रता के बाद, वर्ष 1948 में इसका नाम यूरोपीयन मेंटल हॉस्पिटल से बदलकर इंटर-पॉविन्शल मेंटल हॉस्पिटल कर दिया गया और यह अस्पताल सभी भारतीयों के लिए खोल दिया गया। इसके बाद, वर्ष 1952 में इसका नाम को पुन: बदलकर मानसिक रोग अस्पताल रख दिया गया और वर्ष 1954 में भारत सरकार ने इसके प्रशासन को अपने अधिकार में ले लिया । 01 अप्रैल, 1977 को इसे एक संस्थान का दर्जा दिया गया और इसका नाम बदलकर केंद्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान कर दिया गया। यह संस्थान मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो रहे विकास के अनुरूप निरंतर नई ऊंचाइयों को छू रहा है और मानसिक विकारों की जांच और प्रबंधन के लिए विभिन्न आधुनिक सुविधाओं को स्थापित किया जा रहा है।