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स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
भारत सरकार

एआईआईएचपीएच, कोलकाता

अखिल भारतीय स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान और जन स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान (एआईआईएचपीएच), कोलकाता
 
अखिल भारतीय स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान और जन स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान, कोलकाता, जिसकी स्‍थापना वर्ष 1932 में दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में जन स्‍वास्‍थ्‍य के पहले विद्यालय के रूप में हुई थी, जन स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में क्षमता निर्माण सुनिश्चित करने के लिए जन स्‍वास्‍थ्‍य और संबद्ध विज्ञान के विभिन्‍न विषयों में शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसंधान को समर्पित अपने प्रकार का एक अग्रणी संस्‍थान है । अखिल भारतीय स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान और जन स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान की क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं, नामत: शहरी स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र, चेतला और ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य इकाई और प्रशिक्षण केंद्र, सिंगूर, संस्‍थान में शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसंधान को अपना द्वितीय सहयोग प्रदान करती हैं ।
 
न केवल इसकी क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं अपितु संस्‍थान में चलाये जा रहे विविध विषय, जैसे जैवरसायन और पोषण, महामारी विज्ञान, स्वास्थ्य संवर्धन और शिक्षा, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, माइक्रोबायोलॉजी, व्यावसायिक स्वास्थ्य, जन स्वास्थ्य प्रशासन, जन स्वास्थ्य नर्सिंग, पर्यावरण स्वच्छता और स्वच्छता इंजीनियरिंग, निवारक और सामाजिक चिकित्सा, व्यवहार विज्ञान और सांख्यिकी इस संस्‍थान के व्‍यापक दायरे के द्योतक हैं ।
 
संस्थान की उपलब्धियां और योगदान इसके संस्थापकों द्वारा संस्थान को दी गई उत्‍कृष्‍ट  प्रतिष्‍ठा के अनुरूप हैं। संस्‍थान द्वारा चलाए जा रहे नियमित पाठ्यक्रमों की सूची यह इंगित करती है कि संस्‍थान जन स्‍वास्‍थ्‍य के मामले में एक समग्र दृष्टिकोण का अनुकरण कर रहा है ।
 
यह संस्‍थान राज्‍य सरकारों/केंद्रीय मंत्रालयों/अंतर्राष्‍ट्रीय एजेंसियों/आदि के सहयोग से नियमित आधार पर विभिन्‍न श्रेणियों और समूहों के स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों के लिए कई अल्‍पकालिक पाठ्यक्रम/प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहा है ।
 
इस संस्‍थान ने देश में स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में सक्षम मानव संसाधन की उपलब्‍धता सुनिश्चित करने और जन स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए अनुसंधान के साथ-साथ कई उल्‍लेखनीय पहल की हैं । यह निम्नलिखित सांकेतिक उदाहरणों से स्पष्ट होता है:
 
·         लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति और सामुदाय स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए वर्ष 1944 में पश्चिम बंगाल के 68 गाँवों में लगभग 7,000 सदस्यों का पहला सामान्य स्वास्थ्य सर्वेक्षण करने का श्रेय संस्‍थान को जाता है ।
·         सर जोसेफ भोरे ने सिंगुर स्थित ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र में अपने अनुभव के आधार पर वर्ष 1944 मेंसंपूर्ण भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के साथ-साथ प्राथमिक स्वास्थ्य परिचर्या आपूर्ति प्रणाली का समर्थन किया था ।
·         40 के दशक के अंत में, अखिल भारतीय स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान और जन स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान ने साइट पर निपटान करने वाले कम लागत के फ्लश शौचालय विकसित किये। सामुदायिक जल आपूर्ति के लिए हैंड-पंप के रखरखाव के मॉडल के विकास का श्रेय भी इस संस्‍थान को जाता है।
·         ग्रामीण स्वास्थ्य इकाई और प्रशिक्षण केंद्र, सिंगूर ने 1957 में परिवार नियोजन के तरीकों पर एक समुचित अध्ययन किया और उसकी आवश्यकता और स्वीकार्यता की पुष्टि के बाद भारत सरकार ने परिवार नियोजन के तरीकों पर स्‍वास्‍थ्‍य शिक्षा प्रारंभ की और पूरे भारत में अस्‍थायी गर्भनिरोधक उपायों का वितरण किया ।
·         अखिल भारतीय स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान और जन स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान में अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण नेटवर्क (आईटीएन) केंद्र को वर्ष 1984 में यूएनडीपी/विश्व बैंक के जल और स्वच्छता कार्यक्रम के एक घटक के रूप में पानी और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए स्थापित किया गया।
·         अखिल भारतीय स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान और जन स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान ने भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा राष्ट्रीय पेयजल मिशन के तहत पानी की गुणवत्ता परीक्षण के लिए देश के पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में जिला स्तरीय प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए क्षेत्रीय केंद्र के रूप में कार्य किया।
·         कोलकाता में स्ट्रीट फूड वेंडिंग के कलकत्ता मॉडल का विकास (1992-93) एफएओ तकनीकी सहयोग कार्यक्रम के तहत कलकत्ता नगर निगम के सहयोग से अखिल भारतीय स्वच्छता और जन स्वास्थ्य संस्थान द्वारा किये गये दो साल के अध्ययन पर आधारित है।
·         सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और उसके कारकों की आधारभूत स्थिति का विश्लेषणतथा सूक्ष्म पोषकों की कमी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए रणनीति बनाने और उपाय करने के लिए, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, त्रिपुरा और गुजरात में सूक्ष्म तत्‍व कुपोषण नियंत्रण हेतु भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग केराष्ट्रीय पायलट कार्यक्रम(1995-2007) का समन्वयन किया।
·         यह संस्‍थान आपदा प्रबंधन के लिए विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के एक सहयोगी केंद्र और आईईसी प्रशिक्षण हेतु केंद्रीय प्रशिक्षण संस्‍थान के रूप में कार्य करता रहा है । विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन स्‍वास्‍थ्‍य संवर्धन में क्षमता निर्माण हेतु अंतर्राष्‍ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए मानव संसाधन हेतु अखिल भारतीय स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान और जन स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान के संकाय की सेवाएं लेता रहा है ।
·         वर्ष 2008 में संस्‍थान द्वारा, पश्चिम बंगाल सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य विभाग और भारत में विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के कंट्री ऑफिस द्वारा दी गई आर्थिक सहायता से, स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेंडिसन के सहयोग से किये गये अध्‍ययन का विषय पश्चिम बंगाल के दक्षिण परगना और मालदा जिलों में भूजल में आर्सेनिक की उच्‍च सांद्रता की समस्‍या और इस अत्‍यधिक दूषित भूजल को पीने वाले व्‍यक्तियों में आर्सेनिकोसिस का विकास था।
·         यह संस्‍थान स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम(आईडीएसपी) के लिए भारत के पूर्वोत्‍तर राज्‍यों हेतु नोडल संस्‍थान के रूप में कार्य कर रहा है ।
·         यह संस्‍थान सात पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के साथ-साथ अंडमान और निकाबार द्वीप समूह में स्थित सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य प्रयोगशालाओं में कार्य कर रहे राज्‍य और जिला स्‍तर के जन स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारियों और माइक्रोबायोलॉजिस्‍ट के प्रशिक्षण कार्य से सक्रिय रूप से जुड़ा रहा है ।
·         संस्थान ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीए) के तत्वावधान में एचआईवी प्रहरी निगरानी में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संस्थान ने विभिन्न बिहेवियरल समूहों में एचआईवी संक्रामकता के जोखिम का आकलन करने में पश्चिम बंगाल राज्य सहित सात पूर्वोत्‍तर राज्यों के लिए फिर से नोडल संस्थान के रूप में कार्य किया।
·         संस्थान ने महामारी निगरानी और संचारी रोगों की रोकथाम में अपना योगदान दिया है। इस संस्थान का संकाय, स्थानीय स्वास्थ्य विभाग और नागरिक प्रशासन को आपदा नियंत्रण और रोकथाम और पुनर्वास व राहत कार्यों में लगे संगठनों की मदद करने के लिए, आपदा प्रभावित क्षेत्रों का नियमित दौरा करते हैं।
·         संस्थान के संकाय और छात्रों द्वारा जन स्वास्थ्य पर कई शोध पत्र हर साल विभिन्न अनुक्रमित पत्रिकाओं में प्रकाशित किए जा रहे हैं।
 
संस्‍थान के दो परिसर हैं, एक 110, सीआर एवेन्‍यू, कोलकाता-700073 में स्थित है और दूसरा जेसी 27 और जेसी 27 बी, सेक्‍टर III, साल्‍ट लेक, कोलकाता-700 089 में। पहला परिसर  मुख्य परिसर के रूप में जाना जाता है और दूसरा बी एन परिसर के रूप में। इन दोनों परिसरों के अतिरिक्‍त,सिंगुर, हुगली, पश्चिम बंगाल में एक ग्रामीण स्वास्थ्य इकाई और प्रशिक्षण केंद्र है और चेतला, कोलकाता में एक शहरी स्वास्थ्य केंद्र । सिंगुर स्थित ग्रामीण स्वास्थ्य इकाई और प्रशिक्षण केंद्र, एक प्रशिक्षण केंद्र और क्षेत्रीय प्रयोगशाला के रूप में काम करने के अलावा लगभग 1,00,000 की आबादी वाले 64 गांवों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं का पूरा करता है। शहरी स्वास्थ्य केंद्र, चेतला भी एक प्रशिक्षण केंद्र और क्षेत्रीय प्रयोगशाला के रूप में कार्य करता है और लगभग 1,25,000 व्यक्तियों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करता है। तथापि, चेतला में फोकस 35,000 की स्‍लम आबादी पर रहता है। हाल ही में, संस्‍थान ने फरक्‍का बराज परियोजना अस्‍पताल के कार्य को अपने हाथ में लिया है और बेहतर और व्‍यापक सेवाएं प्रदान करने के लिए इसे अपग्रेड करने के कार्य में लगा है ।
 
पाठ्यक्रम
 
अखिल भारतीय स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान और जन स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान दो प्रकार के पाठ्यक्रम चलाता है, एक वे जो भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद(एमसीआई) द्वारा मान्‍यता प्राप्‍त हैं और दूसरे जो पश्चिम बंगाल स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान विश्वविद्यालय(डब्‍लयूबीयूएचएस) द्वारा मान्‍यता प्राप्‍त हैं । हॉलाकि, भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद(एमसीआई) द्वारा मान्‍यता प्राप्‍त पाठ्यक्रमों के लिए प्रमाण-पत्र/डिग्री पश्चिम बंगाल स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान विश्वविद्यालय(डब्‍लयूबीयूएचएस) द्वारा ही जारी की जाती हैं । भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद(एमसीआई) द्वारा मान्‍यता प्राप्‍त पाठ्यक्रम हैं- मातृ और शिशु कल्‍याण में डिप्‍लोमा, एमडी(सामुदायिक चिकित्‍सा) और जन स्‍वास्‍थ्‍य में डिप्‍लोमा ।  पूर्व में एमसीआई द्वारा मान्‍यता प्राप्‍त ऑद्योगिक स्‍वास्‍थ्‍य में डिप्‍लोमा को अब बंद कर दिया गया है । संस्‍थान द्वारा चलाए जा रहे अन्‍य पाठ्यक्रम हैं, एमएससी(एप्‍लाइड न्‍यूट्रिशन), डिप्‍लोमा इन डायटेटिक्‍स, मास्‍टर ऑफ इंजीनियरिंग(पब्लिक हैल्‍थ), मास्‍टर इन पब्लिक हैल्‍थ(एपिडीमियोलॉजी), पोस्‍ट ग्रेजुएट डिप्‍लोमा इन पब्लिक हैल्‍थ मैनेजमेंट, डिप्‍लोमा इन हेल्‍थ प्रोमोशन एंड एजुकेशन, मास्‍टर ऑफ वेटरनरी पब्लिक हैल्‍थ, डिप्‍लोमा इन पब्लिक हैल्‍थ नर्सिंग और स्‍वास्‍थ्‍य सांख्यिकी में डिप्‍लोमा।
 
पत्राचार के लिए पता:
 

 

अखिल भारतीय स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान और जन स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान, 110, चितरंजन एवेन्‍यू, कोलकाता–700073