एआईआईएमआर, मुम्बई
अखिल भारतीय भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास संस्थान, मुम्बई
सन 1955 में स्थापित अखिल भारतीय भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास संस्थान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास के क्षेत्र में शीर्ष संस्थान है ।
यह संस्थान, संयुक्त राष्ट्र संगठन से तकनीकी विशेषज्ञता एवं मानव शक्ति की सहायता और भारतीय विशेषज्ञ, स्वर्गीय डॉ. एम.वी. संत के नियोजन एवं सहयोग से, नवम्बर 1955 में एक अग्रगामी परियोजना के रूप में स्थापित किया गया था । सन 1961 में यह संस्थान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत आ गया ।
मार्च 1959 में भूतपूर्व प्रधानमंत्री, स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी ने इसकी एक नई पांच मंज़िला इमारत की आधारशिला रखी और मार्च 1976 में तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याणमंत्री डॉ. करण सिंह द्वारा इस इमारत का औपचारिक रूप से उदघाटन किया गया ।
जहां तक इसके मुख्य ब्लाक(‘ए’ब्लाक) का संबंध है, इसकी आधारशिला 29.09.2000 को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. सी.पी. ठाकुर द्वारा रखी गई और दिनांक 15.09.2006 को डॉ. ए. रामदॉस, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री द्वारा इसका उद्घाटन किया गया ।
संस्थान आधुनिक सुसज्जित पुनर्वास केंद्रों में से एक है, जिसके मुख्य ब्लॉक में सीएडी सीएएम, उन्नत फिज़ियोथैरेपी सेवाओं, छात्रावास एवं अतिथि कक्ष सहित ओपीडी कॉम्प्लेक्स, अत्याधुनिक ऑपरेशन थियेटर और एक पोस्ट ऑपरेटिव रिकवरी रूम, हाई टेक प्रोस्थेटिक्स एवं ऑर्थोटिक्स फैब्रिकेशन विभाग है ।
अन्य दो ब्लॉक में भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग है, जिसमें अंतरंग रोगियों के लिए साठ बिस्तरों की सुविधा औरपुनर्वास चिकित्सा विभाग हैं जिसमें व्यावसायिक चिकित्सा, भौतिक चिकित्सा, वाक चिकित्सा, चिकित्सीय समाज कार्य, व्यावसायिक निर्देशन, पुस्तकालय सहित अकादमिक अनुभाग, व्यावसायिक प्रशिक्षण विभाग एवं प्रोस्थेटिक्स एवं ऑर्थोटिक्स कर्मशाला शामिल है। इस ब्लॉक के विकृतिविज्ञान एवं विकिरण विज्ञान विभाग में रोगियों के निदान एवं प्रबंध हेतु जाँच की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं ।
विदेशी एवं देश के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों से लोकोमोटर विकलांगता ग्रस्त व्यक्तियों को व्यापक पुनर्वास चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करने के प्रति वचनबद्धता के लिए इस संस्थान की दुनिया भर में प्रशंसा की जाती है। क्षेत्रीय अध्ययन सहित प्रशिक्षण एवं शोध अध्ययन के लिए इसे उच्च स्थान प्राप्त है ।
यह संस्थान पुनर्वास के क्षेत्र में सेवाएं उपलब्ध कराने, प्रशिक्षण प्रदान करने और शोध कार्यों के आयोजन के लिए प्रतिबद्ध है ।
परिकल्पना
लोकोमोटर विकलांगता ग्रस्त प्रत्येक व्यक्ति की अंतर्निहित शक्ति को क्रियान्वित करके, उनके लिए समान अवसर, उनके अधिकारों की रक्षा एवं समाज में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करना ।
मिशन
चिकित्सीय आवश्यकताओं के अलावा उत्तम इंटरवेंशन्स द्वारा लोकोमोटर विकलांगता से ग्रस्त व्यक्तियों को इष्टतम रूप से सक्षम करना, ताकि वे सामाजिक एवं आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो, पुनर्वास व्यावसायिकों को प्रशिक्षित करना एवं अनुसंधान करना ।
उद्देश्य
- जीर्ण विकारों सहित सभी श्रेणियों के न्यूरो-मस्क्यूलो-स्कैलेटल विकारों के लिए व्यापक चिकित्सा पुनर्वास सेवाएं सृजित करना एवं प्रदान करना
- विकलांगता की रोकथाम एवं पुनर्वास पर जोर देते हुए बहुआयामी दृष्टिकोण के माध्यम से सेवाएँ सृजित करना एवं प्रदान करना
- पुनर्वास व्यावसायिकों को अल्पकालिक प्रशिक्षण पाठयक्रमों एवं दीर्घकालिक स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षित करना
- समुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करना
- सहायक सामग्री एवं उपकरणों का निर्माण
- भौतिक चिकित्सा और पुनर्वास के क्षेत्र में अनुसंधान करना
समय-समय पर पुनर्वास सेवाओं में सुधार लाने के लिए परामर्शी सेवाएं प्रदान करने और मॉनिटरिंग के लिए सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठन के साथ सहयोग एवं समन्वय करना।
संस्थान में प्रदान की जाने वाली सेवाएँ:
जन्मजात, जन्म की चोटों, संक्रामक, चयापचयी, अभिघातज, वंशानुगत अथवा बढ़ती आयु के कारण व्यपजनित(डीजनरेटिव) विकारों के परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार की शारीरिक विकलांगताओं के लिए सेवाएँ प्रदान की जाती हैं ।
अशक्तता की कुछ स्थितियां जिनके लिए संस्थान में पुनर्वास प्रबंधन उपलब्ध है, निम्न प्रकार हैं:
- पीडिएट्रिक्स, नामतः प्रमस्तिष्कीय आघात, पोलियो के उपरान्त अवशिष्ट पक्षाघात, जन्मजात विसंगति, जोड़ों का टेढ़ापन, मायेलोमेनिंगोसेले, रिकिट्स, मसकुलर डिस्ट्रॉफी
- न्युरोलोजिकल, नामतः स्ट्रोक, सिर की चोट, पार्किंसनिज़्म, मल्टिपल स्केलेरोसिस, पैरीफ्रल न्यूरोपैथिस, मोटर न्यूरॉन रोग, स्पाइनल कॉर्ड की चोटे|
- आर्थोपेडिक, नामतः सर्वाइकल एवं लम्बर स्पोण्डीलोसिस, ऑस्टियोपोरोसिस, पोस्ट फ्रैक्चर सीक्वेल, जोड़ों की दर्दयुक्त स्थिति, पैरीफ्रल नर्व इंजरी, पर्थेस रोग, स्कोलियोसिस, क्यफोसिस, कुष्ठता के परिणामस्वरूप विकार, मधुमेह की सेकेंडरी जटिलताएँ, बर्न काण्ट्रैक्चर
- एम्पुटेशन, नामत: जन्मजात और जन्मोत्तर
- आर्थराइटिक, नामत: ऑस्टियोआर्थराइटिस , रिह्युमेटॉयडआर्थराइटिस, सेप्टिक आर्थराइटिस, एंकीलोसिंग स्पोण्डीलोसिस
- वाक्(स्पीच) नामत: विलंबित वाक् एवं भाषा विकास, डिसारथ्रीअ, वाचाघात
- खेलकूद के दौरान लगी चोट
अधिक जानकारी के लिए देखें ........